सुचना : किशन रैबिट फार्म्स - भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एक्सपोर्ट कम्पनी । वापसी खरीद गारेन्टेड कोर्ट एग्रीमेन्ट के साथ ।



कम लागत

कम मेहनत

अधिक मुनाफा

सुचना / नोट: किसान रैबिट फार्म अपने किसी भी फार्म के किसी भी खरगोश का प्रयोग मांस हेतु नही करता है। उपरोक्त जानकारी मात्र जानकारी हेतु है

भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एक्सपोर्ट कम्पनी ।

खरगोश से खुशहाली की ओर मुर्गी पालन से आधी लागत ।

किसान रैबिट फार्म्स : कम लागत - कम मेहनत - अधिक मुनाफा

खरगोश की प्रजातियां भारी वजन वाली किस्में।

वापसी खरीद गारेन्टेड कोर्ट एग्रीमेन्ट के साथ ।

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वाइट जायंट
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ग्रे जायंट
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फ्लेमिश जायंट
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डच
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न्यूजीलैंड वाइट
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न्यूजीलैंड ब्लेक
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न्यूजीलैंड रेड
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सोवियत चिंचिला

खरगोश पालन क्यो ?


कम निवेश और छोटी जगह में ही खरगोश पालन अधिक आय देता है। खरगोश साधारण खाना खाता है, जिस पर बहुत कम खर्च होता है । खरगोश पालन डेयरी फार्मिंग , मुर्गी पालन , बकरी पालन की तुलना में आसान व्यवसाय है जिसमे समय और मेहनत तुलनात्मक रूप से कम लगते है। खरगोशों की मांग दवा कम्पनियों को दवा परीक्षणों , लैब्स को लैब टेस्टिंग , मेडिकल कॉलेज में मेडिकल के स्टूडेंटस के लिए और टीका संस्थानों के वैक्सीन, टीके बनाने हेतु बहुतायत मात्रा मे होती है । साथ ही इससे उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीनयुक्त मांस उपलब्ध होता है और इसका प्रयोग फर वाले कपड़े , चमड़े की चीजें जैसे मोबाइल कवर , बेल्ट , पर्स, चाबी के छल्ले , दस्ताने , बच्चो के जूते इत्यादि बनाने में भी किया जाता है ।

खरगोश पालन किसके लिए है ?


भूमिहीन व छोटी जोत के किसानों, अशिक्षित युवाओं और महिलाओं के लिए खरगोश पालन अंशकालिक नौकरी की तरह एक अतिरिक्त आय का साधन बनता है। यदि खरगोश पालन को पूर्णकालिक व्यवसाय के रूप में अपनाए तो बहुत अच्छा मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है। खरगोश पालन से लाभ ?

खरगोश पालन से कोई भी उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीनयुक्त मांस प्राप्त कर सकता है। खरगोशो को घरों में आसानी से उपलब्ध पत्ते, बची हुई सब्जियां और चने के छिलके , मूंगफली का भूसा आदि खिलाए जा सकते हैं। ब्रॉयलर खरगोशों में वृद्धि दर अत्याधिक उच्च होती है। वे तीन महीने की उम्र में ही 2 किलो तक के हो जाते हैं और औसतन 350 रूपये प्रति किलो के हिसाब से बिकते हैं। खरगोश में लिटर साईज (बच्चों की संख्या) सबसे अधिक होती है। (औसतन एक मादा 5 से 12 तक बच्चे देती है ) विश्व मे भारतीय चिकित्सा संस्थानों और दवा कंपनियों की दवाओं और वैक्सीन की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है क्योंकि भारतीय दवा कंपनियों की दवाओं और वैक्सीन की कीमत अमेरिकी यूरोपियन और अन्य पश्चिमी देशों की दवा कंपनियों के मुकाबले काफी कम है। इन सब दवा कंपनियों और लैब्स को बड़ी मात्रा में खरगोशों की आवश्यकता पड़ती है जिससे खरगोश पालक बहुत अच्छा मुनाफा कमाते है। घरों में पालने के लिए भी खरगोश के बच्चो की बड़ी मांग बाजार में रहती है। इसके मांस की अन्य मांस से तुलना करने पर खरगोश के मीट में उच्च प्रोटीन और वसा होती है इसलिए यह मांस सभी उम्र के लोगों, व्यस्क और बच्चों के साथ साथ हृदय रोगियों, लकवे के मरीजों के लिए भी उपयुक्त है। खरगोश का मांस फैट फ्री मीट माना जाता है और इसको उच्च वसा और उच्च रक्तचाप के रोगी भी खा सकते है जिस कारण इसकी सारे विश्व में बेहद मांग है और यह काफी महंगा बिकता है।

खरगोश पालन के तरीके।


खरगोश कई तरीके से पाले जा सकते हैं किंतु हम इनमें से पिंजरा प्रणाली अपनाते हैं। खरगोश को खेत , खाली प्लाट इत्यादि के साथ साथ , घर के आंगन में छोटे से शैड से लेकर घर की छत पर शैड बनाकर भी पाला जा सकता है जिसका निर्माण कम निवेश में भी संभव है। खरगोश को मौसमी परिस्थितियां जैसे तेज गर्मी और बरसात से बचाने के लिए शैड बनाना आवश्यक है।

पिंजरा प्रणाली ।


व्यवसायिक रूप से खरगोश पालन के लिए यही सबसे अच्छी प्रणाली है, किसान रेबिट फार्म में हम अपने किसान मित्रों से इस प्रणाली में खरगोश को रखने के लिए 8/10 फुट लम्बा 3/4 फुट चैड़ा व 1/1.5 फुट ऊँचा पिंजरा बनाया जाता है। जिसमें 1.5/2 वर्ग फुट के बराबर 10 बॉक्स होते हैं। प्रत्येक भाग में एक वयस्क खरगोश को रखा जाता है, हर बॉक्स में खरगोश को दाना पानी देने के लिए कटोरियां लगी होती है जिसमें सुबह शाम दाना पानी डाला जाता है।

खाद्य प्रबंधन


खरगोश सभी प्रकार के अनाज (सोर्गम, बाजारा ,मक्का,जौं,चने के छिलके,मूंगफली की खली और अन्य अनाज) और फलीदार भूसा मजे से खाते हैं। हरा चारा जैसे बरसीम,रिजका, हरी ज्वार, हरा मक्का, घास, पेड़ पौधों की पत्तियाॅ, रसोई की बची हुई चीजें जैसे गाजर और गोभी के पत्ते और अन्य सभी सब्जियां आदि इस्तेमाल में न आने वाली चीजें खरगोश बड़े चाव से खाते हैं।

खरगोश के खाद्य प्रबंधन में याद रखने योग्य बिंदु


खाने का निश्चित समय तय होना चाहिए। अक्सर गर्मियों में अधिक तापमान के चलते दिन के समय खरगोश खाना नहीं खाते, लेकिन वे रात में सक्रिय रहते हैं। इसलिए खरगोशों को रात में हरा चारा देना चाहिए क्योंकि वह बर्बाद नहीं जाता। सुबह के समय में ठोस खाना (फीड) दिया जाना चाहिए। यदि फीड रूप में भोजन उपलब्ध न हो, तो मुख्य भोजन (घर पर अनाजों को चक्की में पीसकर बनाये गये) को पानी के साथ मिलाकर उसकी छोटी-छोटी गोलियां बना कर भी खरगोश को दिया जा सकता है। एक खरगोश को एक दिन में 100 ग्राम मुख्य भोजन (फीड) और 200 से 300 ग्राम हरा चारा दिया जा सकता है। खरगोश हरा चारा खाता है। हरे चारे को कभी पिंजरे की फर्श पर नहीं रखना चाहिए, लेकिन उन्हें पिंजरे के किनारे डाला जा सकता है। दिन के किसी भी समय खरगोश को साफ ताजा पानी ही उपलब्ध कराना चाहिए।

कम लागत - कम मेहनत - अधिक मुनाफा

"कम निवेश और छोटी जगह में ही खरगोश पालन अधिक आय देता है"

नोट: MSME Approved | Ministry of Agriculture & Farmers' Welfare Approved | Ministry of Commerce and Industry Approved |ICAR